सौगन्ध--भाग(९)

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राज्य की शोभा देखते ही बनती थी,मंदिर को सुन्दर सुन्दर पुष्पों की लड़ियों से सजाया गया था,जिस स्थान पर मनोज्ञा का नृत्य होना निश्चित था उस स्थान के चारों कोनों को भानुफल(केले) के पत्रों एवं अनेकों कलशों से सजाया गया था,राज्य के सभी जन धरती पर बिछे बिछौने पर पंक्तियों में बैठ गए,स्त्रियों की पंक्तियाँ अलग थी और पुरुषों की पंक्तियांँ अलग थीं,सभी राज्यवासियों की आँखें इस प्रतीक्षा में थीं कि कब राजमाता वसुन्धरा मंदिर में पधारें और मनोज्ञा उनके समक्ष अपना नृत्य प्रस्तुत करें, राजमाता ने विशेष रूप से देवदासी के लिए वस्त्र भिजवाएं थे एवं उन्होंने अनुदेश दिया