में और मेरे अहसास - 59

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आँखों से छाया हैं पागलपन lसाफ़ दिख रहा है दीवानापन ll अपनों ने गैरों का चोला पहना lहर कही दिखता है बेगानापन ll सब अपनी मस्ती में जी रहे हैं lढूंढते हैं जहाँ मे अब अपनापन ll बेगाने और अजीब हो गये लोग lकिसे सीखाए हम सयानापन ll३०-६-२०२२   ******************************* आज जिंदगी मंज़िल से भटक गई lप्यार की नैया साहिल से भटक गई ll इस मतलबी और लालची क़ायनात में lन्याय की दोर आदिल से भटक गई ll चुप बैठने का वक्त हाथ से निकल गया lरूह मे तितलियां तिल से भटक गई ll बड़ी से बड़ी कुठि पल में