14 आह, वे फुँदने! सर्दियाँ आईं तो ठुनठुनिया ने माँ से कहा, “माँ...माँ, मेरे लिए एक बढ़िया-सी टोपी बुन दे। सुंदर-सुंदर फुँदनों वाली टोपी। स्कूल जाता हूँ तो रास्ते में बड़ी सर्दी लगती है। टोपी पहनकर अच्छा लगेगा।” गोमती ने बेटे के लिए सुंदर-सी टोपी बुन दी, चार फुँदनों वाली। ठुनठुनिया ने पहनकर शीशे में देखा तो उछल पड़ा, सचमुच अनोखी थी टोपी। टोपी पहनकर ठुनठुनिया सारे दिन नाचता फिरा। अगले दिन टोपी पहनकर स्कूल गया, तो सोच रहा था, सब इसकी खूब तारीफ करेंगे। पर ठुनठुनिया की टोपी देखकर मनमोहन और सुबोध को बड़ी जलन हुई। हमेशा वे ही