राज-सिंहासन--भाग(१३)

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जब सुकेतुबाली ने नीलमणी से कहा कि ... तुम्हारी सखी कादम्बरी अत्यधिक सुन्दर है तो सोनमयी और नीलमणी मन ही मन मंद-मंद मुस्कुरा उठीं,परन्तु कादम्बरी बना ज्ञानश्रुति भयभीत हो उठा,क्योंकि उसे आशा थी कि ये नारीप्रेमी मानव कुछ भी कर सकता है,ना जाने अब उसके संग क्या होने वाला है? हे! प्रभु! दया रखना,अब तुम ही रखवाले हो कादम्बरी के,ज्ञानश्रुति ने मन में बोला।। सुकेतुबाली को अभी भी अपनी पुत्री एवं उन सभी मेहमानों पर तनिक भी विश्वास नहीं था,सुकेतुबाली को ऐसा प्रतीत हो रहा था कि कहीं ऐसा तो नहीं कि उसकी पुत्री अपने संग शत्रुओं को ले आई