राज-सिंहासन--भाग(६)

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नीलमणी को देखते ही सोनमयी बोली..... ये अप्सरा धरती पर क्या कर रही हैं? अरे,बहना! ये अप्सरा नहीं सूरजगढ़ राज्य की राजकुमारी नीलमणी हैं,वीरप्रताट बोला।। ओह.... इनकी सुन्दरता देखकर तो ऐसा लगता है कि मानो ये कोई अप्सरा हों,सोनमयी बोली।। जा...सोनमयी! इन्हें अपनी कुटिया में लेजा,किसी वस्तु की आवश्यकता हो तो पूछ लेना,आज रात्रि ये हमारे यहाँ ही विश्राम करेंगीं,सहस्त्रबाहु बोला।। जी...भ्राता! अवश्य! आपके आदेश का पालन होगा,मैं इनका ध्यान रखूँगी,आइए राजकुमारी जी आइए...आइए...,सोनमयी ने नीलमणी से कहा। और नीलमणी ,सोनमयी के संग कुटिया के भीतर चली आई,कुटिया के भीतर आते ही सोनमयी ने बिछौना बिछाते हुए नीलमणी से कहा....