भूटान लद्दाख और धर्मशाला की यात्राएं और यादें - 17

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17 दूसरे दिन पालमपुर सुबह अपना नाश्ता करने के बाद मैं पालमपुर के लिए निकली। देवेश जो वहां दो साल से रह रहे थे। मुझसे रोज सुबह पूछ ही लेते थे कि मैं आज कहां जाने वाली हूं। साथ ही उस जगह से जुड़ी जानकारी मुझे जरूर देते। आज बस मुझे किसी दूसरी तरफ से लेनी थी। साथ ही यदि मुझे कोई जरूरत हो तो देवेश के मित्र वहां हैं, मैं उनसे कोई सहायता ले सकती हूं। उन्होंने मुझे बताया। पालमपुर पहुंच कर पहले मैंने बैजनाथ का शिवा मन्दिर देखा। कल दशहरा था।। मन्दिर में अनुष्ठान हुआ था। साथ ही