प्रतीक्षा

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प्रतीक्षा १ विक्रमनगर में आज प्रातः की शुरुआत ही शंख की पवित्र ध्वनि और ढोल - नगाड़ों की गूंज से हुई। आज सम्पूर्ण नगर में हर्ष और उल्लास का माहौल था। कुंवारी कन्याएं अपने नए वस्त्र धारण कर और हाथों में शुभ कलश लिए अपने बड़ो का इंतजार कर रही थी। बड़े भी अपने नवीन से नवीन वस्त्र पहन रहे थे और पहने भी क्यूँ नहीं ऐसा मौका कई सालों में जाकर आता था, अधिकांश की जिंदगी में ऐसा सौभाग्य लिखा ही नहीं होता और मुश्किल से ही कोई तीन या इससे अधिक बार ऐसा देख पाता था। आज