दूसरे दिन तय कार्यक्रम के मुताबिक पंडित श्रीधर के घर लोग जमा होने लगे । जैसे जैसे लोगों की भीड़ बढ़ रही थी पंडितजी की बेचैनी भी बढ़ रही थी । लोग भी हैरानी से इधर उधर देख रहे थे । ऐसा लग रहा था जैसे कुछ ढूंढ रहे हों ।वह छोटीसी कन्या सभी को इशारों में बैठे रहने को कह रही थी । सभी ग्रामवासी उस छोटी सी कन्या के तेज से प्रभावित ख़ामोशी से बैठे रहे । जब गाँव के अधिकांश लोग आ चुके तब कन्या ने पंडित श्रीधर को इशारे से अपने पास बुलाया और उनसे माताजी