मेरा भारत दिखा तुम्हें क्या? 3 काव्य संकलन- मेरा भारत दिखा तुम्हें क्या? वेदराम प्रजापति ‘’मनमस्त’’ समर्पण -- धरती के उन महा सपूतों, जिनके श्रम कणों से, यह धरा सुख और समृद्धि- पाकर, गैार्वान्वित बनी है, उनके कर कमलों में सादर। वेदराम प्रजापति मनमस्त। दो शब्द- आज की इस भयावह चकाचौंध में भारत की पावन धरती से मानवी के बहुत सारे सच्चे चेहरे गायब और अनदिखे से हो रहे हैं, उन्हीं की खोज में यह काव्य संकलन ‘मेरा भारत दिखा तुम्हें क्या ?’ अपने आप को ,आप सभी सुधी समीक्षक मनीषियों