भगवान की लाठी

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“भगवान की लाठी “रघुवन में कीटु लकड़बग्घा की धृष्टता प्रतिदिन बढ़ती जा रहीं थीं। धृष्टता क्या, सच कहें तो अपराध बढ़ते जा रहे थे। दूसरों को हानि पहुंचा कर स्वयं आनंदित होना उसका प्रतिदिन का काम था। परिचित और अपरिचित वो किसी को भी नहीं छोड़ता था। उसके कर्म स