पुराना दफ़्तर

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पुराना दफ़्तर शहेर के बीचो-बीच का एक सरकारी दफ़्तर हु मै, जो अब पुराना हो चुका हु.... शायद एक अरसा हो गया हे मुजे बंद कीये गए, मेरा हर कमरा, कमरे का हर सामान अब पुराना हो चुका हे.... मेरे अलग-अलग कमरे मे अलग-अलग लोग आते-जाते रहेते थे, कुछ लोग इसी शहर के थे तो कुछ लोग दूसरे शहर या गाव से आते थे, मगर सब लोग हर रोज़ कोइ ना कोइ यादे मेरे पास छोड जाते थे, मै आज, उन सभी यादो का बोज लिये बैठा हु, बंद हु, सोचता हु कि, कोइ तो ज़रुर आएगा एक