पुरानी कहानी

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पुरानी कहानी: नया पाठ फणीश्वरनाथ रेणु बंगाल की खाड़ी में डिप्रेशन - तूफान - उठा! हिमालय की किसी चोटी का बर्फ पिघला और तराई के घनघोर जंगलों के ऊपर काले-काले बादल मँडराने लगे। दिशाएँ साँस रोके मौन-स्तब्ध! कारी-कोसी के कछार पर चरते हुए पशु - गाय,बैल-भैंस- नदी में पानी पीते समय कुछ सूँघ कर, आतंकित हुए। एक बूढ़ी गाय पूँछ उठा कर आर्तनाद करती हुई भागी। बूढ़े चरवाहे ने नदी के जल को गौर से देखा। चुल्लू में लिया - कनकन ठंडा! सूँघा - सचमुच, गेरुआ पानी! गेरुआ पानी अर्थात पहाड़ का पानी - बाढ़ का पानी? जवान चरवाहों ने