*ॐ नमः शिवाय*
*तारा चक्र*
*कुल 9 प्रकार के तारा माने गए हैं, और हर नक्षत्र से ये क्रम चलता है।*
तारा और उनके फल
1. जन्म तारा — जन्म से संबंधित सामान्य।
2. सम्पत तारा — धन, संपदा, सफलता, लाभकारी।
3. विपत तारा — बाधा, रोग, अशुभ।
4. क्षेम तारा — सुख, शांति, सुरक्षा मिलेगी अवश्य परंतु अपने सामर्थ्य अनुसार दूसरों की सेवा और समाज सेवा करने पर।
5. प्रत्यारी तारा — हानि, विवाद, अशुभ
6. साधक तारा — कार्य सिद्धि, सर्वार्थ सिद्धि, सफलता मिलेगी परंतु अपने आप को जानने और साधने के बाद।
7. वध तारा — कष्ट, संकट, मृत्यु तुल्य कष्ट, अशुभ।
8. मित्र तारा — सहायक, शुभ।
9. अतिमित्र तारा — यहां मेरे विचार बिल्कुल भिन्न हैं। ये आपका शत्रु नहीं अपितु अतिमित्र होता है। और मित्र की भांति ही आपके लिए सहायक बल्कि अति सहायक होता है।
ये साइकिल प्रत्येक माह में तीन बार ही रिपीट होगी क्योंकि प्रत्येक तारे में ३—३ नक्षत्र आते हैं।
अतः मेरे विचार से:—
1. सम्पत, मित्र, अतिमित्र — शुभ फलदाई
2. जन्म, क्षेम, साधक — सामान्य फलदाई
3. विपत, प्रत्यारी, वध — अशुभ फलदाई
एक और बात आपकी कुंडली में जो भी ग्रह आपके तारा चक्र के अनुसार जिस भी तारे वाले नक्षत्र में पड़ेगा वो ग्रह आपको वैसा ही फल देगा।
उदाहरणार्थ आपको धन, संपदा वही ग्रह देगा जो आपकी कुंडली में आपके तारा चक्र के अनुसार सम्पत तारे वाले नक्षत्रों में बैठा होगा।
*आचार्य दीपक सिक्का*
*संस्थापक ग्रह चाल कंसल्टेंसी*