गोश बर आवाज का आलम, जुनूं की वो शामत है,
मोहब्बत ईमां या फ़न, बस वही इब्तिला ए शामत है।
मगर एक फरमाईस है जो ख़ामोशियां रौशन करे,
सदके ऐसा ख़ला तो हर एहसास सरे फराहमत है।
कुदिसयान ए आसमा लौ में इक आफत ए शामत़ है,
गर बेपरवाही रूह में हर्फ़ का अलामी दम अनामत है।
आरजू मौज दर मौज हम ए दैरीना से जूझता ख़ला,
वही नासूर है जो हर दिल में छुपा फिर रिवायत है।
ना दुश्मन न नफ़रत, न खुदसुकूनश्त खिंजा ए शामत है।
जज़्बा अम्न नहीं जो फ़रेब से निकल खता ए मलामत है ।
गमजदा सदा साअल आग दिल की लपट में जल जाए,
कुश्तगान ए शोंक सच्चाई है, वही हकीकत ए शामत है।
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गोश बर आवाज का आलम
गोश: कान
बर: पर
आवाज: आवाज
आलम: स्थिति, अवस्था
Translation: आवाज़ पर कान देने की स्थिति।
जुनूं की वो शामत है
जुनूं: दीवानगी, पागलपन
शामत: बदकिस्मती, बुरा समय
Translation: यह दीवानगी की वह बदकिस्मती है।
मोहब्बत ईमां या फ़न
मोहब्बत: प्रेम
ईमां: विश्वास, आस्था
फ़न: कला
मोहब्बत विश्वास है या कला।
बस वही इब्तिला ए शामत है
इब्तिला: परीक्षा, संकट
ए शामत: बदकिस्मती का
बस वही बदकिस्मती की परीक्षा है।
मगर एक फरमाईस है जो ख़ामोशियां रौशन करे
फरमाईस: निवेदन, इच्छा
ख़ामोशियां: चुप्पियां
रौशन: प्रकाशित करना
लेकिन एक निवेदन है, जो चुप्पियों को प्रकाशित कर दे।
सदके ऐसा ख़ला तो हर एहसास सरे फराहमत है
सदके: बलिहारी, न्यौछावर
ख़ला: खालीपन
एहसास: भावना, अनुभव
सरे फराहमत: उदारता के सिर पर, कृपा से
बलिहारी ऐसे खालीपन की, जो हर भावना उदारता से भर दे।
कुदिसयान ए आसमा लौ में इक आफत ए शामत़ है
कुदिसयान: पवित्रता
ए आसमा: आसमान का
लौ: आग की चमक
आफत: विपत्ति
ए शामत़: बदकिस्मती का
आसमान की पवित्रता में आग की चमक एक बदकिस्मती है।
गर बेपरवाही रूह में हर्फ़ का अलामी दम अनामत है
गर: यदि
बेपरवाही: लापरवाही
रूह: आत्मा
हर्फ़: शब्द
अलामी: संकेत देने वाला
दम: सांस, क्षण
अनामत: जिम्मेदारी
यदि आत्मा में लापरवाही शब्दों का एक जिम्मेदार क्षण बन जाए।
आरजू मौज दर मौज हम ए दैरीना से जूझता ख़ला
आरजू: इच्छा
मौज दर मौज: लहर दर लहर
हम ए दैरीना: पुरानी समस्या
जूझता: संघर्ष करता हुआ
ख़ला: खालीपन
इच्छा लहर दर लहर, पुरानी समस्या से संघर्ष करता खालीपन है।
वही नासूर है जो हर दिल में छुपा फिर रिवायत है
नासूर: न भरने वाला घाव
रिवायत: परंपरा
वही न भरने वाला घाव है, जो हर दिल में छिपा हुआ एक परंपरा बन गया है।
ना दुश्मन न नफ़रत, न खुदसुकूनश्त खिंजा ए शामत है
दुश्मन: शत्रु
नफ़रत: घृणा
खुदसुकूनश्त: आत्मसंतोष
खिंजा: पतझड़, उदासी
ए शामत: बदकिस्मती का
न कोई शत्रु है, न घृणा, न आत्मसंतोष; यह पतझड़ की बदकिस्मती है।
जज़्बा अम्न नहीं जो फ़रेब से निकल खता ए मलामत है
जज़्बा: भावना
अम्न: शांति
फ़रेब: धोखा
खता: गलती
ए मलामत: निंदा की
शांति की भावना नहीं है, जो धोखे से निकलकर निंदा की गलती बन जाए।
गमजदा सदा साअल आग दिल की लपट में जल जाए
गमजदा: दुःखी
सदा: आवाज
साअल: प्रश्न
लपट: ज्वाला
दुःखी आवाज और प्रश्न दिल की ज्वाला में जल जाए।
कुश्तगान ए शोंक सच्चाई है, वही हकीकत ए शामत है
कुश्तगान: शहीद
ए शोंक: जुनून का
सच्चाई: सत्य
हकीकत: वास्तविकता
जुनून के शहीद सत्य हैं, वही बदकिस्मती की वास्तविकता है।
जुगल किशोर शर्मा, बीकानेर
मननं कुरु, चिन्तनं कुरु, कर्मभावं धारय the importance of reflection, contemplation, and maintaining the spirit of action (karma). - लोकः समस्ताः सुखिनो भवन्तु में समाहित सहज सनातन और समग्र समाज में आदरजोग सहित सप्रेम स्वरचित - आदर सहित परिचय मैं जुगल किशोर शर्मा, बीकानेर में रहता हूॅं लेखन का शौक है मुझे स्वास्थ्य,सामाजिक समरसता एंव सनातन उद्घट सात्विकता से वैचारिकी प्रकट से लगाव है, नियमित रूप से लिंक्डिंन,युटूयूब,मातृभारती, अमर उजाला में मेरे अल्फाज सहित विभिन्न डिजीटल मीडिया में जुगल किशोर शर्मा के नाम से लेखन कार्य प्रकाशित होकर निशुल्क उपलब्ध है समय निकाल कर पढें