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दर्द की हद से गुजारे तो
सभी जायेंगे
जल्द़ या देरी से मारे तो
सभी जायेंगे
नदियाँ लाशों को पानी में
नही रखती है
तैरे या डूबे _किनारे तो
सभी जायेंगे
चाहे कितनी ही बुलंदी पे
चला जाएं कोई
आसमानों से उतारें तो
सभी जायेंगे
देवालय सबको बुलाते है
भलाई की तरफ
आएं ना आएं पुकारे तो
सभी जायेंगे
सियासत मैं कोई किसीका
नहीं होता है
मौत के घाट__ उतारें तो
सभी जायेंगे
[ सियासत = राजनीति ]
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