नजरें करम मुज पर इतना न कर,
की मे तरी मुहोब्बत के लिए बगी हो
जाऊ,
मुझे इतना ना पिला इश्क़ -ए-ज़ाम् की,
मे ईश्क के ज़हर का
आदि हो जाऊ,,@

Hindi Shayri by Abbas khan : 111837656

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