तुम्हे ये जिद थी के हम बुलाते,
हमे ये उम्मीद थी के तुम पुकारे,
है नाम होंठो पे अब भी लेकिन ,
आवाज़ में पड़ गयी दरारे ।

Hindi Blog by Ghanshyam Patel : 111813575

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now