सादर समीक्षा हेतु प्रस्तुत हैं मेरी ओर से पाँच दोहे 🙏🙏🙏
*साँसें, आँखें, बातें, रातें, घातें*
1 साँसे
गिनती की साँसें मिली, जीवन यह अनमोल।
सद्कर्मों पर ध्यान दें, हर धर्मों के बोल।।
2 आँखें
आँखें फटी निहारतीं, कलियुग की करतूत।
प्रेमी हत्या कर रहे, मटियामेट सबूत।।
3 बातें
खत्म नहीं बातें हुईं, बीत गई जब रात।
प्रेमी ने हँस कर कहा, कल फिर होगी बात।।
4 रातें
रातें अब छोटी हुईं, दिन हो गए जवान ।
बिस्तर पर करवट बदल, बैठा हिन्दुस्तान।।
5 घातें
कितनी घातें दे रहे, शत्रु-पड़ोसी देश।
छद्म रूप धर कर सदा, पहुँचाते हैं क्लेश।।
मनोज कुमार शुक्ल " मनोज "
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