શનિવાર, નવેમ્બર 12, 2022, 3:40 PM પર, Umakant Mehta એ લખ્યુંઃ
में छु सकूँ तुझे मेरा खयाल-ए-खाम है क्या
तिरा बदन कोई शमशीर-ए-बे-नियाम है क्या
मिरी जगह कोई आईना रख लिया होता
न जाने तेरे तमाशे मे मेरा काम है क्या
अंसीर-ए-ख़ाक मुझे करके तू निहाल सही
निगाह डाल के तो देख जेर-ए-दाम है क्या
ये डूबती हुई क्या शय हैं तेरी आंखों में
तिरे लबों पे जो रोशन है उस का नाम है क्या
मुझे बता में तिरी ख़ाक अब कहां रख दूँ
कि ‘ जेब’ अर्ज -ओ- समा में तिरा मक़ाम है क्या
…….…. जैब गौरी
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